बैक्टीरिया (Bacteria) एंव वायरस (Virus) में अंतर और वैक्सीन (Vaccine) कैसे बनती है?
अभी दुनियाभर में जब से कोरोनावायरस फैला है, तब से लेकर आज तक लोगों के दिमाग में इससे जुड़े तरह-तरह के सवाल उत्पन्न हो रहे हैं। इनमें से कुछ सवाल ऐसे हैं जो लगभग सबके दिमाग में आते है, जैसे- बैक्टीरिया और वायरस के बीच में क्या अंतर है? और वायरस की वैक्सीन कैसे तैयार होती है?
तो इन्हीं सवालों का जवाब ही हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताएंगे।
जानिए बैक्टीरिया और वायरस के बीच में अंतर | (Difference between Bacteria and Virus in Hindi)
बैक्टीरिया (Bacteria):- यह एकल कोशिकीय सूक्ष्मजीव होते हैं जो कि अलग-अलग वातावरण में पनपते हैं, यानी इनकी कुछ किस्मे ठंड में वह कुछ गर्म वातावरण में जन्म लेती है। यह इंसान कि शरीर की आंतों में अपना घर बनाते हैं, जो भोजन को हजम करने में सहायक है। ज्यादातर बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हैं सिर्फ कुछ बैक्टीरिया के द्वारा ही यह निम्नलिखित बीमारियां होती है जैसे -
- गले में खराश
- टि.बी.
- मूत्र मार्ग में संक्रमण इत्यादि |
बैक्टीरिया की वजह से जो बीमारियां उत्पन्न होती है उनका एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए से उपचार किया जाता है।
वायरस (Virus):- यह बैक्टीरिया से भी छोटे एकल सूक्ष्मजीव होते हैं।इनको पनपने के लिए जीवित प्राणी की जरूरत होती है जैसे इंसान, जानवर, या पेड़- पौधे। वायरसों की अलग-अलग प्रजाति होती है जैसे कोरोनावायरस, हंतावायरस, राइनोवायरस इबोलावायरस, इनफ्लुएंजा वायरस और ऐसे ही करोड़ों प्रजातियां हैं।
अभी जो वायरस चाइना के वुहान से फैला है, उसका नाम SARS-COV-2 है | जो कि कोरोना प्रजाति का वायरस है। बगैर जीवित प्राणी के वायरस के जिंदा रहने की अवधि (Time) सभी वायरसों की प्रजाति में अलग-अलग होती है और वातावरण पर भी निर्भर करता है।
उदाहरण के तौर पर, SARS-COV-2 स्टैनलेस स्टील पर 3 दिन, कागज पर 1दिन, कोपर पर 4 घंटो तक जिंदा रह सकता है। सारे वायरस हानिकारक ही होते हैं, सभी से बीमारियां या संक्रमण होते हैं जैसे-
- सर्दी, जुकाम (राइनोवायरस)
- एड्स (HIV वायरस)
- Covid-19 (कोरोनावायरस)
वायरस के द्वारा हुई बीमारियों के उपचार के लिए वैक्सीन का उपयोग किया जाता है।
जानिए वैक्सीन कैसे तैयार होती है | (How Vaccine is Prepared in Hindi)
शोधकर्ता वायरस के सैंपल को लेते हैं और उस वायरस को आधा काट देते हैं ताकि वह हानिकारक नहीं रहे। फिर उस वायरस को किसी जानवर में दाखिल किया जाता है, जानवर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उस वायरस से लड़ने के लिए खून में एंटीबॉडीज बनाती है।
इस प्रक्रिया में कम से कम 10 से 12 दिन का समय लगता है। अगर वह एंटीबॉडीज उस वायरस को मार देती है, तो जानवर के खून के जरिए वैक्सीन तैयार की जाती है।
फिर इस वैक्सीन को दूसरे जानवरों पर भी टेस्टिंग की जाती है,अगर बाकी जानवरों पर भी वैक्सीन का असर सफल रहता है, तो फिर इंसानों के लिए वैक्सीन बनाने के लिए यही प्रक्रिया कुछ लोगों पर दोहराई जाती है| इन लोगों को प्रयोग का भागीदार बनने के लिए पैसे भी दिए जाते हैं।
इसी के साथ हम आपको यह बात भी बता दें कि आज तक इतिहास में कभी भी वैक्सीन 20 महीनों से कम के समय में नहीं बनी है।
हम आशा करते हैं कि वैज्ञानिक जल्द से जल्द इस कोरोनावायरस की वैक्सीन तैयार कर ले, जिससे हम सबको इस महामारी से छुटकारा मिल सकता है।
निष्कर्ष Conclusion :
इस अर्टिकल में हमने जाना कि बैक्टीरिया व वायरस क्या होते है ? और वैक्सीन कैसे बनती है? अगर आपको ये बाते जरा सी भी काम की लगी तो कमेंट करके जरूर बताये |
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और आखिर में,
ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद |
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Good
जवाब देंहटाएंJankari ke liye shukriya
जवाब देंहटाएंNice information
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंऐसी बेहतरीन जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद। क्या आप इस कोरोना वैक्सीन रेमडेसिविर के साइड इफ़ेक्ट बारे में अधिक विस्तार से जानने में मेरी मदद कर सकते हैं
जवाब देंहटाएंhealth se judi yah janakri bahut helpful hai.
जवाब देंहटाएंLove With Mumma
good information..
जवाब देंहटाएंPregnancy test after IVF treatment
very good thank you for sharing.
जवाब देंहटाएंWhen to Take a Pregnancy Test
I think this is an informative post and it is very useful and knowledgeable. therefore, I would like to thank you for the efforts you have made in writing this article.
आपने अच्छी जानकारी दी
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