कोरोनावायरस लोकडाउन के दौरान भारत की स्थिति क्या है?

जानिए कोरोनावायरस लोकडाउन के दौरान भारत की स्थिति क्या है?

जैसा कि हम सब जानते हैं कि पूरी दुनिया में कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए अलग-अलग देशों में लोकडाउन किया गया है। और भारत में भी 25 मार्च को 21 दिन का लोकडाउन घोषित किया गया था,  जिसे अभी तक 2 हफ्ते पूरे हो चुके हैं।

इस लोकडाउन की वजह से भारत किन परिस्थितियों का सामना कर रहा है? भारत कैसे कोरोनावायरस से लड़ रहा है? और क्या परिवर्तन इस दौरान देखने को मिले हैं? हम इसी के बारे में जानकारी हमारे इस आर्टिकल में देंगे।


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#1. चिकित्सा प्रणाली

भारत में फिलहाल 8 अप्रैल तक 5900 लोगों मे कोरोना संक्रमित पाया गया है जिसमें से 178 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत की चिकित्सा प्रणाली पूरी तरह से सक्रिय हो गई है, डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ अपनी जी जान लगा रहे हैं इस महामारी से लड़ने के लिए। 

इन की कोशिशों का आप इस बात से भी अंदाजा लगा सकते हैं कि बेंगलुरु के ऑंकोलॉजिस्ट डॉक्टर विशाल राव और उनकी टीम ने कोरोनावायरस की दवा बनाने का दावा किया है। डॉक्टर विशाल राव ने अपने इंटरव्यू में कहा कि "यह कोई वैक्सीन नहीं जिस से कोरोनावायरस संक्रमित होने से बचा जा सकता है।



असल में इंसान के शरीर की कोशिकाओं में इंटरफेरॉन होते हैं जो वायरस को खत्म करने का काम करते हैं। लेकिन जिन की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जब वह वायरस से संक्रमित होते हैं तो उनकी कोशिकाओं में से इंटरफेरॉन निकलना बंद हो जाता है। 

यह दवा उनकी प्रतिरोधक क्षमता को दोबारा जीवित करती है जिसे से कोशिकाओं से इंटरफेरॉन निकलना शुरू हो जाते हैं।हम इस दवा का पहला सेट कुछ समय में तैयार कर लेंगे, हमने सरकार के पास इस दवा की रिव्यू  का प्रस्ताव भी भेज दिया है।"


तो भारत के कई डॉक्टर अपनी हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं इस वायरस को रोकने के लिए, लेकिन कम उपकरण और अन्य सुविधाओं की वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। 

भारत हेल्थ केयर के मामले में पूरी दुनिया में 145 वें  स्थान पर आता है,जो कि पड़ोसी देशों बांग्लादेश(132th), श्रीलंका(71th) और भूटान(134th) से भी पीछे हैं।

इसकी वजह यह भी है कि भारत में 1500 लोगों पर मात्र 1 हॉस्पिटल का बेड उपलब्ध है,Personal protective equipment(P.P.E.) जैसे मास्क, सूट, दस्ताने आदि की भी कमी है और भारत में महज 40,000 वेंटीलेटर है | 

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत में  कोरोनावायरस के संक्रमित बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं तो अभी की स्थिति से 70-80 गुना वेंटिलेटरो की जरूरत पड़ेगी वजह यह है कि covid-19 से पीड़ित मरीजों में लगभग 6 से 7 प्रतिशत मामलों में सांस की तकलीफ आती है।


वैसे भारत के लिए हथियार बनाने वाले संगठन DRDO ने इन चीजों के लिए पहल की है। DRDO ने PPE सुट तैयार किया है, उन्होंने दो निजी कंपनियों के साथ मिलकर 15 हजार सुट 1 हफ्ते में बनाने का लक्ष्य लिया है।

#2. सरकार और पुलिस प्रशासन

भारत में फिलहाल अन्य कई देशों के मुकाबले कोरोनावायरस के कम संक्रमित रोगी पाए गए हैं इसका कारण है कि भारत सरकार ने समय रहते संपूर्ण देश में लोकडाउन किया | लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग करने पर जोर दिया,हर जगह पोस्टर लगाए और कॉलर ट्यून के जरिए भी लोगों को जागरूक किया।

इसी के साथ हम आपको यह भी बता देंगे भारत में कम संक्रमित सामने आने का कारण यह भी है कि टेस्टिंग कम हो रही है।भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार 8 अप्रैल तक भारत में 1लाख 28 हजार सैंपल की टेस्टिंग हुई है। ICMR के चीफ ने कहा है कि "भारत अपनी परीक्षण क्षमता का महज 30% ही उपयोग में ले रहा है  जिससे केवल 12000 सैंपल प्रतिदिन टेस्ट हो रहे हैं। ICMR अपनी परीक्षण प्रयोगशाला बढ़ाने जा रहा है अगर सरकार प्राइवेट प्रयोगशालाओं को टेस्ट की अनुमति दें।"


WHO ने भी सभी देशों को टेस्टिंग करने पर जोर दिया है तो इससे यह भी पता चलता है कि भारत में यह महामारी कितनी फैली है इसका कोई अंदाजा नहीं है फिलहाल, तो भारत सरकार को चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग कराएं ताकि इसका पता भी लग सके और उसके हिसाब से फिर रणनीति तय करें।

दूसरी तरफ, पुलिस भी अपना काम बखूबी निभा रही है, वह लोगों को सख्ती से लोकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर आ रही है।लोगों से घरों में रहने की अपील कर रही है, जो कोई भी बगैर काम घर से बाहर निकल रहे हैं उन पर और ज्यादा सख्ती  दिखा रही है।


#3. गरीबों की स्थिति

इस लोकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा तो प्रभावित हो रहे हैं वह गरीब लोग लोकडाउन की वजह से सभी फैक्ट्रियां, कारखाने, कंस्ट्रक्शन का काम वगैरह बंद पड़ा है। जिससे जो लोग दैनिक मजदूरी करते हैं, मतलब रोज कमाते-खाते हैं उनके लिए यह बड़ी मुश्किल की घड़ी है। 

केंद्र व राज्य सरकार ने अपने- अपने स्तर पर भले ही इनके लिए खाने-पीने का इंतजाम किया हो | लेकिन सच्चाई यह भी है कि अभी भी कहीं गरीब लोग ऐसे हैं, जो सरकार की इन सुविधाओं से वंचित है लेकिन कई सारे NGO और आम लोग इनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं, जहां पर सरकार की सुविधाएं नहीं पहुंच रही है, वहां पर यह लोग अपनी मानवता का परिचय दे रहे हैं और गरीब लोगों की सेवा कर रहे हैं।


ग्लोबल हंगर इंडेक्स(GHI) के अनुसार भारत गरीबी के मामले में और नीचे गिर चुका है वर्ष 2000 में भारत की रैंकिंग 83 थी ,वर्ष 2010 में 95 थी जबकि अभी के सर्वे के अनुसार 2019 में रैंकिंग 102 हो गई है। भारत की गिरती गरीब दर भारत  के लिए सबसे बड़ा चिंताजनक विषय है,भारत सरकार इस पर भी अपना ध्यान केंद्रित करें।


#4. भारतीय मीडिया

भारत में मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है लेकिन यह स्तंभ अब कमजोर हो चुका है। जिस मीडिया से लोग उम्मीद करते हैं कि हमारी काम की खबरें बताएंगे, हमारी मुश्किल परिस्थितियों को सरकार के सामने लाएंगे और सरकार के कामों पर सवाल खड़ा करेंगे लेकिन भारतीय मीडिया को अब इन चीजों से कोई लेना देना नहीं है, मीडिया अब यह काम ना करके बल्कि लोगों में सांप्रदायिक भेदभावना उत्पन्न कर रही है, खबरों को जोड़- तोड़ कर लोगों के सामने पेश कर रही है। 


इसका एक उदाहरण हाल ही के दिनों में देखा जा चुका है  वह तबलीगी जमात का मसला जिसमें लगभग कुछ न्यूज़ चैनल व अखबारों  को छोड़कर बाकी सारे मीडिया वालों ने तबलीगी जमात वालों की आलोचना करनी शुरू कर दी थी|  खबरों को इस तरह पेश किया जा रहा था कि जैसे भारत में कोरोनावायरस फैलने में सिर्फ और सिर्फ उन लोगों की ही गलती है जबकि पुलिस प्रशासन व सरकार के ढीले रवैए पर कोई भी सवाल खड़ा नहीं कर रहा था। 

मीडिया के इस कोरोनावायरस को धर्म विशेष से जोड़ने कि वजह से  लोगों में सांप्रदायिक भेदभाव उत्पन्न हो गया है। इसका सबूत इस घटना में आपको मिल जाएगा, 5 अप्रैल को राजस्थान के भरतपुर जिले के जनाना अस्पताल में एक गर्भवती मुस्लिम महिला अपने पति के साथ प्रसव के लिए जाती है तो वहां जब महिला से उसका नाम पूछा जाता है तो उसके नाम बताने के बाद वहां का डॉक्टर उसका प्रसव करने से मना कर देता है। वजह पूछने पर उसने कहा कि आप मुस्लिम हैं मैं आपका इलाज नहीं कर सकता, फिर उस महिला को जयपुर रेफर कर दिया जाता है वहां पहुंचने से पहले ही महिला का बच्चा एंबुलेंस में ही हो जाता है और बच्चा मरा हुआ पैदा होता है।

इस घटना से आप समझ ही गए होंगे कि मीडिया किस तरह से लोगों की मानसिकता से खेल रहा है जिसमें डॉक्टर जैसे पढ़े-लिखे व्यक्ति को ऐसी नीच हरकत करने पर मजबूर कर दिया | अगर वह डॉक्टर उसी वक्त अगर महिला का प्रसव कर देता तो शायद उसका बच्चा जिंदा होता इस खबर की पुष्टि राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी कि है उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री से कहकर डॉक्टर के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।


#5. पर्यावरण का हाल

इस लोकडाउन से फैक्ट्रीया व वाहनों की आवाजाही बंद होने की वजह से प्रदूषण का स्तर काफी सुधर चुका है | इससे सबसे अच्छा प्रभाव महानगरों पर पड़ा है जहां पर AQI(Air Quality Indiex) 100 के नीचे आ चुका है जो कि पर्यावरण के लिए अच्छी खबर है। चिड़िया व अन्य पक्षी कि भी अब आसमां मे चहचहांट सुनाई दे रही है।

अगर आपको ये जानकारी काम की लगी तो निचे कमेंट करके जरूर बताये | और  हमेशा हिंदी में जानकारी पाने के Hindi Guidance Blog | हिंदी गाइडेंस ब्लॉग को पढ़ते  रहे |

और आखिर में,
ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद |

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