इजराइल-फिलिस्तीन झगड़ा(Israel-Palestine conflict)

 

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इजराइल-फिलिस्तीन झगड़ा | Israel-Palestine Conflict

जैसा कि यह तो आप सब जानते ही हैं कि विश्व में किसी ना किसी देश के अपने पड़ोसी देश से दुश्मनी तो होती ही है ठीक इसी कड़ी में नाम आता है  इजराइल-फिलिस्तीन जैसे देशों का जो कि अभी चर्चा का विषय बना हुआ है और आप सब भी इनके इस दुश्मनी के पीछे जो इतिहास हैवह जानने के लिए उत्सुक होंगेहम अपने इस आर्टिकल में आपको इसी के बारे में जानकारी देंगे |

 

https://en.wikipedia.org/wiki/Moroccan_Quarter

1. फिलिस्तीन का इतिहास-


सन 1948 से पहले इजराइल नाम का कोई भी देश इस दुनिया में अस्तित्व में नहीं था यहां का पूरा क्षेत्र ही फिलिस्तीन कहलाता था जो कि भूमध्य - सागर(mediterranean sea) और जॉर्डन नदी के बीच में बसा हुआ था।इसे यहूदियों और ईसाइयों की जन्मभूमि भी कहा जाता है और यहां पर काफी सारे साम्राज्य और दूसरी ताकत राज कर चुकी है जेसे प्राचीन मिस्रपर्शियन,अलेक्जेंडर द ग्रेट,रोमन साम्राज्य,तुर्क साम्राज्य और सबसे आखिर में सन 1918 से सन 1948 तक ब्रिटिश ने राज किया था।


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2.यहूदियों का फिलिस्तीन की ओर पलायन(migration)-


बीते हजार सालों में यहूदी पूरी दुनिया में हर जगह पर टुकड़े-टुकड़े में फैले हुए थे और इनमें से कुछ देशों में उनको नफरत और अत्याचार का सामना करना पड़ता था खासकर ईसाइयों के द्वारा इसी वजह से उस वक्त काफी यहूदियों में यह भावना जगी के उनको खुद का अपना एक देश बनाना चाहिए।

तत्पश्चात सन 1881 एक बड़े पैमाने पर यहूदियों का फिलिस्तीन की ओर पलायन देखने को मिलाफिलिस्तीन चुनने की उनकी वजह यह थी कि के वहां एक शहर है जिसका नाम यरूशलम है जो कि तीनों धर्मो ईसाई,इस्लाम और यहूद का एक धार्मिक केंद्र है।

 

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3.फिलिस्तीन पर ब्रिटिश राज-


पहला विश्वयुद्ध जो कि तुर्क साम्राज्य( Ottoman Empire) को गिराने के लिए ब्रिटेन,रशिया,और फ्रांस ने आपस में मिलकर किया था जैसे ही तुर्क साम्राज्य हार गया पहला विश्व युद्ध खत्म होने के बाद में फिर सन् 1918 फिलिस्तीन पर ब्रिटिश का नियंत्रण हो गया था। इसके कुछ सालों बाद में जब सन् 1933 जर्मनी में हिटलर शासन शुरू होता है तो वहां पर काफी सारे यहूदियों को नाहक कत्ल किया जाता है और उन पर काफी अत्याचार किया जाता है।इसी वजह से वहां से ज्यादातर यहूदी अपनी जान बचाकर फिलिस्तीन में आ जाते हैं पर बाद में ब्रिटिश उन्हें फिलिस्तीन में आने से रोक देते हैं। इसी कारण फिर यहूदी वहां पर अपने एक अलग देश के लिए मांग करने लगते हैं उनका यह आक्रोश इस वजह से भी था कि ब्रिटिश ने उनसे विश्व युद्ध शुरू होने से पहले एक वादा किया था कि वे यहूदियों को फिलिस्तीन में अलग से एक देश बनाने देंगे दूसरी तरफ फिर फिलिस्तीनी भी अपना देश बचाने के लिए आंदोलन शुरू कर देते हैं।इसी वजह से ब्रिटिश तंग आकर सन् 1948 में फिलिस्तीन छोड़ कर चले जाते हैं पर जाने से पहले वह सन् 1947 में संयुक्त राष्ट्रीय (United nation) को यह जिम्मेदारी सौंपकर जाते हैं कि वह फिलिस्तीन का बंटवारा कर के दे।

 

https://www.google.com/amp/s/www.dailymail.co.uk/news/article-2322735/amp/Israels-65th-anniversary-From-pioneers-present-day-remarkable-pictures-struggle-celebration-Jewish-homeland.html

4.इजराइल का जन्म-


U.N.के बंटवारे के मुताबिक 57% हिस्सा यहूदियों को दिया जाता है उन्हें अपना एक देश बनाने के लिए,43% हिस्सा अरब-फिलिस्तीन को दिया जाता है और यरूशलम जो कि एक मुख्य केंद्र है तीनों धर्मों के लिए इस वजह से उसे अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में रखा जाता है। यहूदी U.N.के बंटवारे से खुश होते है वह अपने देश का नाम इजराइल रखते हैं और उसे 14 मई 1948 को स्वतंत्र घोषित करते हैं।

 



5. इजराइल का फिलिस्तिन पर कब्जा-


सन् 1947 में इजराइल जो हिस्से U.N. बंटवारे के मुताबिक फिलिस्तीन के थे उन पर भी कब्जा कर लेता है और इसी वजह से लाख से ज्यादा फिलीस्तीनियों को शरणार्थी(Refugee) बनना पड़ता है । ऊपर दिखाए गए नक्शे से साफ मालूम होता है सन् 1947 से पहले यह पूरा फिलिस्तीन था, उसके बाद यहूदियों ने धीरे धीरे कब्जा करना शुरू कर दिया। अरब देशों में इसके बाद फिलिस्तीन लोग अपना खुद का देश वापस चाहते थे इसके लिए सन् 1964 मे एक संगठन का गठन होता है जिसका नाम Palestine liberal organisation(P.L.O.) होता है।


https://www.cnn.com/2013/09/03/world/meast/oslo-accords-fast-facts/index.html


6.इजराइल-P.L.O. समझौता-

शुरू में P.L.O.का आधार हथियार के जरिए अपना देश वापस लेना होता है और वे चाहते थे कि इजराइल जैसा कोई भी देश  इस दुनिया में अस्तित्व में ना रहे हैं इसी वजह से अमेरिका और इजराइल इसे एक आतंकवादी संगठन घोषित करते थे। फिर सन् 1992 में इजराइल कि सत्ता परिवर्तन होने पर उन्हें एक दयालुवादी प्रधानमंत्री मिलता है जिनका नाम यित्झाक राबिन (Yitzhak rabin) होता है वह कहते थे कि P.L.O. कोई आतंकवादी संगठन नहीं है वह लोग तो बस अपने देश के लिए लड़ रहे हैं और हमें उनका हक देना चाहिए। तत्पश्चात सन्  1993 में इजराइल-P.L.O. समझौता बैठक होती है जिसे Oslo accords भी कहा जाता है,इसके परिणामस्वरूप फिलिस्तीन को गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक का कुछ हिस्सा दिया जाता है फिर  सन् 1994 पहली बार फिलिस्तीन में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना होती है। इस समझौते के बाद P.L.O.के अध्यक्ष यासिर अराफात और इजराइल के प्रधानमंत्री को शांति नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।


https://www.cfr.org/quiz/see-how-much-you-know-about-israeli-palestinian-conflict



7.इजराइल-फिलिस्तीन झगड़े की शुरुआत-


दोनों देश एक शांतिपूर्वक समझौते की तरफ बढ़ चुके थे लेकिन दुर्भाग्य से वहां यहूदी जो कट्टरपंथी लोग थेवह इनके समझौते पर विरोध में उतर आए नतीजा यह हुआ कि सन् 1995 में इजराइल के एक कट्टर यहूदी ने प्रधानमंत्री यित्झाक राबिन को प्वाइंट ब्लैंक रेंज पर आकर बंदूक से तीन गोलियां चलाकर उन्हें मार गिराया था।

 

और दूसरी तरफ फिलिस्तीन में भी एक इस्लामिक कट्टरवादी ग्रुप होता है जिसका नाम HAMAS होता है वह लोग P.L.O. के खिलाफ हो जाते हैं इसी वजह से HAMAS ग्रुप ना सिर्फ सन् 1996 में  फिलिस्तीन चुनाव का बाइकोड करते हैं बल्कि इजराइल में बम ब्लास्ट भी करते हैंजिसमें 25 इजराइली मारे जाते हैं और 77 घायल हो जाते हैं इस घटना के बाद दोनों देशों में तनाव और ज्यादा बढ़ जाते हैं।

 

सन् 2002 में दोनों देशों की तरफ से उपद्रव देखने को मिलता है जिसमें 100 से ज्यादा इजराइली-फिलिस्तीनी मारे जाते हैं इसके बाद फिर इजराइल वेस्ट बैंक में जहां पर काफी हद तक पहले से ही  इजराइली बस्तियां बसी है वहां पर दीवारें खड़ी कर दी जाती है और जगह-जगह चेकप्वाइंट लगा दिए जाते हैं इसी वजह से फिलिस्तीनी लोगों को वहां पर रहना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है। 

 

https://www.reuters.com/world/middle-east/hamas-israel-history-confrontation-2021-05-14/


 8.वर्तमान स्थिति- 


वर्तमान स्थिति में जो गाजा पट्टी का क्षेत्र है जहाँ पर HAMAS का नियंत्रण है यहीं से इजराइल की तरफ से फिलिस्तीन पर आने वाले रॉकेट और गोला-बारूद के जवाब में रॉकेट छोड़े जाते हैं लेकिन इजराइल पर    इनका इतना प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि उनके पास    रॉकेट डिफेंस सिस्टम है मगर ऐसा कोई सिस्टम गाजा में फिलीस्तीन के पास नहीं होने से उन्हें जान-माल का नुकसान बहुत ज्यादा होता है। इजराइल अपनी ताकत का इस्तेमाल करके वेस्ट बैंक के जो क्षेत्र है उन्हें धीरे-धीरे पूरा अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहा है और फिलिस्तीन के लोगों को वहां पर जिंदा रहना भी मुश्किल कर रहा है चूंकि वेस्ट बैंक का क्षेत्र P.L.O.के नियंत्रण में आता है जो कि अहिंसावादी लोग हैं इसलिए वहां पर इस तरह का उपद्रव नहीं देखा जाता है।

 

अब इन दोनों देशों के बीच में क्या हल निकल सकता हैवह तो वक्त ही बताएगा आप लोगों की इसके बारे में क्या राय है नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताना।

 

 

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